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अमीर आदमी और चर्मकार

 अमीर आदमी और चर्मकार

एक बार की बात है, एक खूबसूरत शहर था। वहाँ एक रईस आदमी एक ख़ूबसूरत घर में रहता था। रईस आदमी के पड़ोस में एक चर्मकार आकर रहने लगा। उसका चमड़े का काम था।

अमीर आदमी, चमड़े की अप्रिय गंध को सहन नहीं कर पा रहा था। तो उसने चर्मकार से बात की और अपने पड़ोसी को दूर जाने के लिए दबाव डाला।

चर्मकार ने समय-समय पर यह कहते हुए उसे टाल दिया कि वह जल्द ही चला जाएगा। लेकिन चूंकि वह अभी अभी तो आया ही है, इसलिए वह कहीं नहीं गया।

अमीर आदमी ने उससे कई बार पूछा लेकिन चर्मकार ने वही जवाब दिया, "प्रिय महोदय, मैं जल्द ही चला जाऊंगा।"

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, अमीर आदमी उस गंध का आदी होता चला गया, और अब किसी भी तरह की असुविधा महसूस नहीं हो रही थी, और कुछ समय बाद अमीर आदमी ने और कोई शिकायत नहीं की।

अब वे दोनों दोस्त बनकर खुशी-खुशी रह रहे थे।

शिक्षा :

जब हम किसी एक चीज को सूंघते हैं तो कुछ समय बाद हमें इसकी आदत हो जाती है।


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