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कछुआ और बत्तख
कछुआ और बत्तख
कछुआ जो कि अपने घर को अपनी पीठ पर ढोता है। वह कितनी भी कोशिश कर ले, घर से बाहर नहीं निकल सकता।
वे कहते हैं कि ईश्वर ने उसे ऐसा दंड दिया, क्योंकि वह घर पर इतना आलसी था कि वह विशेष रूप से आमंत्रित होने पर भी किसी की शादी में नहीं जाता था। कई वर्षों के बाद, कछुआ इच्छा करने लगा कि वह अपने एक मित्र की शादी में गया। उसने देखा कि पक्षी कितनी प्रसन्नता से उड़ रहे हैं और कैसे छोटी गिलहरियाँ और अन्य सभी जानवर फुर्ती से भाग रहे हैं। हर कोई सब चीजों को देखने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं।
तो कछुआ बहुत दुखी और असंतुष्ट हुआ। अब कछुआ भी दुनिया देखना चाहता था। पर उसकी एक समस्या यह थी की वो दुनिया को कैसे देखे।
कछुआ जिस तालाब के पास रहता था वहीं दो बत्तख भी रहते थे। दोनों बत्तख तालाब में आते जाते रहते थे। वो सारा दिन उड़ कर कहीं चले जाते थे और फिर शाम को लोट आते थे। कछुआ उन दोनों का मित्र था।
एक दिन वह बत्तखों के जोड़े से मिला और उन्हें अपनी सारी परेशानी बताई।
"हम दुनिया को देखने में तुम्हारी मदद कर सकते हैं," बतखों ने कहा। कछुऐ ने पुछा कि तुम दोनों मेरी यह ईच्छा कैसे पूरी कर पाओगे।
बतखों ने कहा कि हम एक छड़ी ले लेगें ओर तुम उसे अपने मजबूत दाँतो से पकड़ लेना और इस तरह हम तुम्हें हवा में बहुत दूर तक ले जाएंगे जहां तुम पूरे ग्रामीण इलाकों को देख सकते हैं।
लेकिन तुम्हें चुप रहना होगा ।" कछुआ सचमुच बहुत खुश हुआ। उसने अपने दाँतों से डंडे को मजबूती से पकड़ लिया, और दोनों बतखों ने उसे एक-एक सिरे से पकड़ लिया, और वे बादलों की ओर चल पड़े।
जब वे बहुत से गाँवों से जा रहे थे, तब बहुत लोगों ने उन्हें देखा। उन्हें देखकर शोर मचा दिया। वे बहुत हैरान हुए। उन्हें लगता है कि यह कछुआ उनका राजा होगा। और आकाश में कुछ और पक्षी भी उड़ रहे थे। वे बतख पूछते हैं। क्या यह कछुआ तुम्हारा राजा है?
कछुआ गर्व महसूस कर रहा था और अपनी बुरी आदत के कारण गलती से उसने अपना मुंह खोल दिया और कहा, "हां मैं उनका राजा हूं।" परन्तु जब उसने ये मूर्खता की बातें कहने के लिथे अपना मुंह खोला, तो वह छड़ी पर से अपनी पकड़ खो बैठा, और भूमि पर गिर पड़ा, और वह चट्टान पर धराशायी हो गया।
शिक्षा ---
मूर्ख की जिज्ञासा और घमंड अक्सर दुर्भाग्य का कारण बनते हैं।
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